गीतावलोकन अध्याय १

निवेदन— गीता मनुष्य जीवन का उत्कर्ष है । मनुष्य मात्र के कल्याण का एकमात्र साधन है गीता । जैसे आज के मशीनरी युग में आप मशीनों (Computer) मैं दुनिया की प्रत्येक जानकारी है तथापि उसमें मस्तिष्क न होने से वह विचार नहीं कर, कोई निर्णय नहीं कर सकता है और न ही आचारण करके अपना कल्याण कर सकता है । जैसा उसमें भर दिया गया है वैसा का वैसा ही सम्मुख प्रस्तुत कर देता है । इसी प्रकार मनुष्य परंपरागत भाष्य, टीका आदि को वैसा का वैसा ही रट लेने वाला विद्वान नहीं बल्कि एक Computer (कम्प्यूटर) से अधिक कुछ नहीं हो सकता है । परंपरागत हमें सिद्धांत की प्राप्ति होती है, मार्गदर्शन मिलता है किन्तु चलना स्वयं ही पड़ेगा । उसके लिए अपना विवेक चाहिए । ह...